Mumtaz Rashid Shayari

उसे चांदनी कहेंगे

कभी दोस्ती कहेंगे कभी बेरुख़ी कहेंगे,
जो मिलेगा कोई तुझसा उसे ज़िन्दगी कहेंगे।

तेरा देखना है जादू तेरी गुफ़्तगू है खुशबू,
जो तेरी तरह चमके उसे रोशनी कहेंगे।

नए रास्ते पे चलना है सफ़र की शर्त वरना,
तेरे साथ चलने वाले तुझे अजनबी कहेंगे।

है उदास शाम राशिद नहीं आज कोई क़ासिद,
जो पयाम उसका लाए उसे चांदनी कहेंगे।

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Parchhayion Ke Shahar Ki

Parchhayion Ke Shahar Ki Tanhayian Na Poochh...
Apna Shareeq-e-Gham Koyi Apne Siwa Na Tha !

परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ...
अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था ।

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Parchhaiyon Ke Shahar Ki

Parchhaiyon Ke Shahar Ki Tanhayian Na Poochh,
Apna Shareeq-e-Gham Koyi Apne Siwa Na Tha !

परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;
अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।