Shanti Swaroop Mishra Shayari

Har Ek Chehre Par Muskan

हर एक चेहरे पर मुस्कान मत खोजो,
किसी के नसीब का अंजाम मत खोजो।

डूब चुका है जो गंदगी के दलदल में,
रहने दो यारो उसमें ईमान मत खोजो।

फंस गया है जो मजबूरियों की क़ैद में,
उसके दिल में दबे अरमान मत खोजो।

जो पराया था आज अपना है तो अच्छा,
उसमें अब वो पुराने इल्ज़ाम मत खोजो।

आदमी बस आदमी है इतना समझ लो,
हर किसी में अपना भगवान मत खोजो।

ये इंसान तो ऐबों का खज़ाना है "मिश्र",
उसके दिल से कोई, रहमान मत खोजो।

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