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हम हुए जो उदास शायरी

उन्होंने हमें आजमाकर देख लिया,
इक धोखा हमने भी खा कर देख लिया,
क्या हुआ हम हुए जो उदास,
उन्होंने तो अपना दिल बहला के देख लिया।

ख्वाब आँखों में

ख्वाब आँखों में जितने पाले थे,
टूट कर के बिखर ने वाले थे।

जिनको हमने था पाक दिल समझा,
उन्हीं लोगों के कर्म काले थे।

पेड़ होंगे जवां तो देंगे फल,
सोच कर के यही तो पाले थे।

सबने भर पेट खा लिया खाना,
माँ की थाली में कुछ निवाले थे।

आज सब चिट्ठियां जला दी वो,
जिनमें यादें तेरी संभाले थे।

हाल दिल का सुना नहीं पाये,
मुँह पे मजबूरियों के ताले थे।

- अभिषेक कुमार अम्बर

बोलने की आदत तो

बोलने की आदत तो हमें बचपन से है
हम क्या करे।
आपको शिकायत है हमसे तो
तो हम क्या करे।
हम तो बोलते है हमेशा से इतना प्यारा
आपको पसंद न आये तो
हम क्या क्या करे।