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शायरी प्यार की गुज़ारिश हो
काश कि आज फिर
बेवक्त बारिश हो जाए...
हमसे बेइंतेहा
प्यार की गुज़ारिश हो जाए...
समेट लेते हम उनके होठों से
चाहत की बूंदों को...
काश कि उनकी नजरों से
ऐसी कोई सिफारिश हो जाए।
काश कि आज फिर
बेवक्त बारिश हो जाए...
हमसे बेइंतेहा
प्यार की गुज़ारिश हो जाए...
समेट लेते हम उनके होठों से
चाहत की बूंदों को...
काश कि उनकी नजरों से
ऐसी कोई सिफारिश हो जाए।