गिला शिकवा शायरी

याद करना ना लौटा सकोगे

याद करना ना लौटा सकोगे Shayari

मैं अपनी चाहतों का हिस्सा जो लेने बैठ जाऊं,
तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लौटा सकोगे ।

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खामोशी से गुजरी जिन्दगी

खामोशी से गुजरी जा रही है जिन्दगी,
ना खुशियों की रौनक ना गमों का कोई शोर ।
आहिस्ता ही सही पर कट जायेगा ये सफ़र,
पर ना आयेगा दिल में उसके सिवा कोई और ।

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तुम बेवफा नहीं ये

तुम बेवफा नहीं ये तो धड़कनें भी कहती हैं,
अपनी मज़बूरिओं का एक पैगाम तो भेज देते ।

अपना मुक़द्दर अपनी लकीरें

मैं शिकवा करूँ भी तो
किस से करूँ,
अपना ही मुक़द्दर है
अपनी ही लकीरें हैं ।

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फितरत का बुरा तू नहीं

गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं,
दोनों इंसान हैं ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं,
गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां,
वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं मैं भी नहीं।

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दिल से मिले दिल

दिल से मिले दिल तो सजा देते है लोग​,
​प्यार के जज्बातों को डुबा देते है लोग,
​दो इँसानो को मिलते कैसे देख सकते है​,
जब साथ बैठे दो परिन्दो को भी उठा देते है लोग ।

सुहाना मौसम और हवा

सुहाना मौसम और हवा में नमी होगी,
आँसुओं की बहती नदी न थमी होगी,
मिलना तो हम तब भी चाहेंगे आपसे,
जब आपके पास वक़्त और
हमारे पास साँसों की कमी होगी।

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दिल की बेताबी जान ले

भले ही राह चलते तू औरों का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले,
कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने,
ज़रा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले।