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कोई पर्दा न था
अहमद फ़राज़तुम तो अपने घर के थे तुमसे कोई पर्दा न था लेकिन,
जो दिल की बात थी ज़ालिम वही मुँह से नहीं निकली।
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अहमद फ़राज़तुम तो अपने घर के थे तुमसे कोई पर्दा न था लेकिन,
जो दिल की बात थी ज़ालिम वही मुँह से नहीं निकली।