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बहुत ज़ालिम हो तुम
बहुत ज़ालिम हो तुम भी मुहब्बत ऐसे करते हो,
जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो।
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बहुत ज़ालिम हो तुम भी मुहब्बत ऐसे करते हो,
जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो।