ये गज़ल मोहब्बतों की

मैं किसे सुना रहा हूँ ये गज़ल मोहब्बतों की,
कहीं आग साजिशों की कहीं आँच नफरतों की,
कोई बाग जल रहा है ये मगर मेरी दुआ है,
मेरे फूल तक न पहुँचे ये हवा तज़ामतों की।

Main Kise Suna Raha Hoon Ye Gazal Mohabbaton Ki,
Kahin Aag Sazishon Ki Kahin Aanch Nafraton Ki,
Koyi Baag Jal Raha Hai Ye Magar Meri Duaa Hai,
Mere Phool Tak Na Pahunche Ye Hawaa Tazaamaton Ki.

ये गज़ल मोहब्बतों की Shayari

-Advertisement-
-Advertisement-