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Main Aakhiri Ban Kar Raha
मौत की वीरानियों में ज़िन्दगी बन कर रहा,
वो खुदाओं के शहर में आदमी बन कर रहा।
ज़िन्दगी से दोस्ती का ये सिला उसको मिला,
ज़िन्दगी भर दोस्तों में अजनबी बन कर रहा।
उसकी दुनिया का अंधेरा सोचकर तो देखिए,
वो जो अंधों की गली में रौशनी बन कर रहा।
सनसनी के सौदेबाज़ों से लड़ा जो उम्र भर,
हश्र ये खुद एक दिन वो सनसनी बन कर रहा।
एक अंधी दौड़ की अगुआई को बेचैन सब,
जब तलक बीनाई थी मैं आख़िरी बन कर रहा।
- संजय ग्रोवर
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