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Pee Chuke Aankhon Se
पी चुके आँखों से बहुत अब और शराब रहने दो,
उसके चेहरे की बात करते हैं, जिक्र-ए-गुलाब रहने दो।
फजा ने गिरा दिये पत्ते उनके जाने की राह पर,
उसे पतझड़ तुम कहो मुझें बहार कहने दो।
खूबसूरती बला की उसमें पर बला से कम नहीं,
खौफ कयामत का हैं चेहरे पे हिसाब रहने दो।
लफ्ज लिखे जो स्याही रात में अहसास की कलम से,
दिखते,मिटते क्यूँ नही ये अब ये सवाल रहने दो।
मत उछालो काँच के खिलौनों को टूट जाऐगा,
दिलों से खेलने वालो मत लो जवाब रहने दो।
~ बिपिन मौर्या
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