Aakhir Saanson Ka Saath

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आखिर सांसों का साथ, कब तक रहेगा,
किसी का हाथों में हाथ, कब तक रहेगा।

बस यूं ही डूबते रहेंगे चाँद और सूरज तो,
आखिर रोशनी का साथ, कब तक रहेगा।

अगर जीना है तो चलना पड़ेगा अकेले ही,
आखिर रहबरों का साथ, कब तक रहेगा।

न करिये काम ऐसे कि डूब जाये नाम ही,
आखिर सौहरतों का साथ, कब तक रहेगा।

कभी तो ज़रूर महकेगा उल्फत का चमन,
आखिर ख़िज़ाओं का साथ, कब तक रहेगा।

तुम भी खोज लो मिश्र ख़ुशी के अल्फ़ाज़,
आखिर रोने-धोने का साथ, कब तक रहेगा।

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