Kahin To Umeed Dikhe
कहीं तो उम्मीद दिखे कहीं कोई उम्मीदवार दिखे,
मेरे सावन में भी कोई काश पतझड़ बहार दिखे,
धुनों की सरगम में ध्वनि मेरी झनकार दिखे,
बस जहां दिखे कुछ हरदम बेशुमार दिखे।
~नवनीत चौबे
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कहीं तो उम्मीद दिखे कहीं कोई उम्मीदवार दिखे,
मेरे सावन में भी कोई काश पतझड़ बहार दिखे,
धुनों की सरगम में ध्वनि मेरी झनकार दिखे,
बस जहां दिखे कुछ हरदम बेशुमार दिखे।
~नवनीत चौबे