Gham Shayari in Hindi
ग़म का दरिया...
ग़म के दरिया से मिलकर बना है यह सागर,
तुम क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो,
कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा,
क्यों मेरी ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो।
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ज़ख्म दे गया...
था कोई जो मेरे दिल को ग़म दे गया,
ज़िन्दगी भर न रोने की कसम दे गया,
लाखों में से एक फूल चुना था हमने,
जो काँटों से भी ज्यादा गहरा ज़ख्म दे गया।
ग़म है न ख़ुशी...
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आस,
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए!
~ खुमार बाराबंकवी
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अभी और रूलाना...
मैं आँखें बिछाए बैठा हूँ उन्हीं राहों पर,
मगर शायद वो लौटकर न आना चाहते हैं,
ना दो सलाह मुझे खुश रहने की,
शायद वो मुझे अभी और रूलाना चाहते हैं।