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हिंदी शायरी
अपनी मौत का पैगाम
रूह ए इश्क़ का अंजाम तो देखो
अपनी मौत का पैगाम तो देखो,
खुदा खुद लेने आया है जमीन पर
ये टूटे दिल का इनाम तो देखो।
महफ़िल से रुखसत
यूँ चले जाते हैं
अपनी ही महफ़िल से रुखसत होकर
यूँ दिल को लगाकर
जलाना कोई उनसे सीखे।
सनम की ख़ुशी
मेरा दिल भी कितना भोला है टूट कर रोते हुए भी,
अपने सनम की जिंदगी की ख़ुशी की दुआ मांगता हैं।
अकेले हम शामिल नहीं
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे।
उम्मीदें जुड़ी हैं तुझसे
उम्मीदें जुड़ी हैं तुझसे टूटने मत देना,
दिल एक मोम है पिघलने मत देना,
दिल ने चाहा है उसे... आज पता चला ,
इस धड़कन को कभी बंद होने मत देना।
अपनी आज़ादी को हम
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं।
दिल दो किसी एक
दिल दो किसी एक को,
वो भी किसी नेक को,
जब तक मिल ना जाए कोई,
ट्राई करते रहो हर एक को।
तेरे गुरूर को देखकर
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,
जरा हम भी तो देखें कौन चाहता है तुम्हें हमारी तरह।