हिंदी शायरी

अपनी दास्ताँ सुनाते हैं

चलो आज शायरी की हवा बहाते हैं,
तुम उठा लाओ मीर ग़ालिब की नज़्में,
और हम अपनी दास्ताँ सुनाते हैं।

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वो राम की खिचड़ी

वो राम की खिचड़ी भी खाता है,
रहीम की खीर भी खाता है,
वो भूखा है जनाब उसे,
कहाँ मजहब समझ आता है।

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दिखावे की मोहब्बत

दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर,
ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी।

ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं

चलो अब जाने भी दो क्या करोगे हमारी दास्ताँ सुनकर,
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।

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तुम्हारे बगैर

तुम्हारे बगैर Shayari

तुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन और ये रात,
गुजर तो जाते हैं मगर, गुजारे नहीं जाते।

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हम दिलफेक आशिक़

हम दिलफेक आशिक़ हर काम में कमाल कर दे,
जो वादा करे वो पूरा हर हाल में कर दे,
क्या जरुरत है जानू को लिपस्टिक लगाने की,
हम चूम-चूम के ही होंठ लाल कर दें।

एक पुराना मौसम

एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हो तनहाई भी।

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Maut Ki Kwahish

Maut Ki Kwahish Shayari

Dil-e-Khwahish Janab Koi Unse Bhi To Puchhe,
Khwahish Mein Jaroor Wo Meri Maut Magenge Dekhna.

दिले ख्वाहिश जनाब कोई उनसे भी तो पूछे,
ख्वाहिश में जरुर वो मेरी मौत ही मांगेंगे देखना।