सैड शायरी

दवा की तरह

किसी के जख़्म तो किसी के ग़म का इलाज़,
लोगों ने बाँट रखा है मुझे दवा की तरह।

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दुहाई पे नहीं लिखता शायरी

उनको ये शिकायत है कि मैं बेवफाई पे नहीं लिखता,
और मैं सोचता हूं कि मैं उनकी रुसवाई पे नहीं लिखता,
ख़ुद अपने से ज्यादा बुरा जमाने में कौन है?
मैं इसलिए औरों की बुराई पे नहीं लिखता,
कुछ तो आदत से मजबूर हैं और कुछ फितरतों की पसंद है,
जख्म कितने भी गहरे हों, मैं उनकी दुहाई पे नहीं लिखता।

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ये क़ातिलों का शहर

तू हवा के रुख पे चाहतों का
दिया जलाने की ज़िद न कर,
ये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू
मुस्कुराने की ज़िद न कर।

महबूब लौटा नहीं करते

शेर-ओ-शायरी तो दिल बहलाने का ज़रिया है जनाब,
लफ़्ज़ काग़ज़ पर उतारने से महबूब लौटा नहीं करते।

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Ruswayi Tere Naam

Apni Ruswayi Tere Naam Ka Charcha Dekhun,
Ek Jara Sher Kahun Aur Main Kya Khya Dekhun.

अपनी रुसवाई तेरे नाम का चर्चा देखूं,
एक जरा शेर कहूँ और मैं क्या क्या देखूं।

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Tere Hijr Mein Marna

Kitna Aasaan Tha Tere Hijr Mein Marna Jaana,
Phir Bhi Ek Umra Lagi Jaan Se Jaate Jaate.

कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जाना
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते।

Paane Ki Tamanna

Tumko Paane Ki Tamanna Nahi Phir Bhi Khone Ka Hai,
Kitni Shiddat Se Dekho Maine Tumse Mohabbat Ki Hai.

तुमको पाने की तमन्ना नहीं फिर भी खोने का डर है,
कितनी शिद्दत से देखो मैनें तुमसे मोहब्बत की है।

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खुदा ने लिखा ही नहीं

खुदा ने लिखा ही नहीं तुझको मेरी किस्मत में शायद,
वरना खोया तो बहुत कुछ था एक तुझे पाने के लिए।