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शराब शायरी
Ladkhadaye Kadam
Ladkhadaye Kadam Toh Gire Unki Baahon Mein,
Aaj Humara Peena Hi Humare Kaam Aa Gaya.
लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।
Hum Toh Nashe Mein Hain
Parda Toh Hosh Walon Se Kiya Jata Hai Hujoor,
Tum BeNaqaab Chale Aao Hum Toh Nashe Mein Hain.
परदा तो होश वालों से किया जाता है हुज़ूर,
तुम बेनक़ाब चले आओ हम तो नशे में हैं।
Chhalak Jaane Do Paimaane
छलक जाने दो पैमाने
मैखाने भी क्या याद रखेंगे,
आया था कोई दिवाना
अपनी मोहब्बत को भुलाने।
Chhalak Jaane Do Paimaane
Maikhaane Bhi Kya Yaad Rakhenge,
Aaya Tha Koi Deewana
Apni Mohabbat Ko Bhulaane.
Pee Raha Hun Dosto
Main Khuda Ka Naam Lekar Pee Raha Hun Dosto,
Zehar Bhi Ismein Agar Hoga Dawaa Ho Jayega,
Sab Usee Ke Hain Hawa, Khushboo, Zamino-Aasmaan,
Main Jahan Bhi Jaunga Usko Pata Ho Jayega.
मैं खुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तों,
ज़हर भी इसमें अगर होगा दवा हो जाएगा,
सब उसी के हैं, हवा, खुशबू, ज़मीनो-आसमाँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा उसको पता हो जाएगा।
साकी तेरी रूसवाई
मय छलक जाए तो कमजर्फ हैं पीने वाले,
जाम खाली हो तो साकी तेरी रूसवाई है।
साकी नजर मिला के पिला
शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए,
यह मुस्कराती हुई चीज मुस्करा के पिला,
सरूर चीज के मिकदार में नहीं मौकूफ,
शराब कम है साकी तो नजर मिला के पिला।
अब्दुल हमीद अदमShikan Na Daal Zabin Par Sharab Dete Huye,
Ye Muskurati Hui Cheej Muskura Ke Pila,
Saroor Cheej Ke Mikdaar Mein Nahi Maukoof,
Sharaab Kam Hai Saqi Toh Najar Mila Ke Pila.
साकी तेरा दीदार
होने को आई शाम, इन गहराए बादलो में,
तन को लगी शीतल बहार, तलब हुई मयखानों की।
सोचा मंगा लूँ मदिरा, करूँ यहीं बैठकर पान,
फिर सोचा चलूँ मयखाने, करने साकी तेरा दीदार।
किया साकी दीदार तेरा, चढ़ गई मुझको हाला,
चढ़ी हाला मुझको ऐसी, नही जग ने सम्भाला।
हुई भोर चढ़ा सूरज, दिन कब ढल गया,
फिर हुआ वही साकी, जो पिछली शाम हुआ।
चला मै उसी राह, जिस राह पर मयखाना था,
पर आज तू नहीं, यहाँ तो मद्द का प्याला था।
हो आई तलब आज फिर से साकी तेरी,
इस जग से रुसवा हो जाऊँ, या फिर तु हो जा मेरी।
आज फिर तुमने मुझे बताया कि मै कौन हूँ,
वरना मै तो केवल तुम्हारे भीतर ही समाया था।
हम वो नही साकी, जो बेकद्र-ऐ-मोहब्बत हो,
हम वो है साकी, जो शजर-ऐ-मोहब्बत हो।
Tum Saqi Bane Toh
Tum Aaj Saaqi Bane Ho Toh Shahar Pyaasa Hai,
Humaare Daur Mein Khaali Koyi Gilaas Na Tha.
तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था।