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तारीफ़ शायरी
MadHosh Najrein
Tumhari Pyar Bhari Nigaahon Ko Dekh Kar
Humein Kuchh Gumaan Hota Hai,
Dekho Na Mujhe Aise MadHosh Najron Se,
Ke Dil BeImaan Hota Hai.
तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को देखकर
हमें कुछ गुमान होता है,
देखो ना मुझे इस कदर मदहोश नज़रों से
कि दिल बेईमान होता है।
Shayari Likhte Ho Kyun
Woh Puchhte Hain Mujhse Ke Shayari Likhte Ho Kyun?
Shayad Unhone Aayina Dekha Nahi Kabhi.
पूछते हैं मुझसे की शायरी लिखते हो क्यों
लगता है जैसे आईना देखा नहीं कभी ।
Meri Nigaah-e-Shauk
Meri Nigaah-e-Shauk Bhi Kuchh Kam Nahi Magar,
Fir Bhi Tera Shabaab Tera Hi Shabaab Hai.
जिगर मुरादाबादीमेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।
Nahi BasTi Surat Kisi Ki
Nahi BasTi Kisi Aur Ki Surat Ab In Aankhon Mein,
Kaash Ke Humne Tujhe Itne Gaur Se Na Dekha Hota.
नहीं बसती किसी और की सूरत अब इन आँखो में,
काश कि हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता।
होश नहीं रहता
पता नहीं लबों से लब कैसे लगा लेते हैं लोग
तुमसे नजरें भी मिल जाये तो होश नहीं रहता ।
वजह पूछोगे तो
वजह पूछोगे तो सारी उम्र गुजर जाएगी,
कहा ना अच्छे लगते हो तो बस लगते हो ।
सनम तेरी निगाहों में
हम भटकते रहे थे अनजान राहों में,
रात दिन काट रहे थे यूँ ही बस आहों में,
अब तमन्ना हुई है फिर से जीने की हमें,
कुछ तो बात है सनम तेरी इन निगाहों में।
Teri Masoomiyat
Likh Du Kitaab Teri Masoomiyat Par
Fir Dar Lagta Hai...
Kahi Har Koyi Tera Talabgar Na Ho Jaye !
लिख दूं किताबें तेरी मासूमियत पर
फिर डर लगता है...
कहीं हर कोई तेरा तलबगार ना हो जाय ।