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Phool Se Naazuk Honthh
इन फूल से नाजु़क होंठों से
गैरों की शिकायत ठीक नहीं,
बदनाम करें दिल वालों को ये
इनकी ये शरारत ठीक नहीं।
चंचल ये तेरे दो नैन मुझे
दिल का रोगी क्यों बनाते हैं,
तूने छेड़े हैं दिल में ख्वाब कई
तेरी इतनी नजाकत ठीक नहीं।
हर हाल में जीने मरने की
कसम उठा लेता है तू,
ऐ सुन ले मोहब्बत करने वाले
तेरी इतनी शराफत ठीक नहीं।
हर दिल को दवा मिल जाती है
और दिल को दुआ मिल जाती है,
दिल को जो कैद रखे ऐसे
चाहत की सिआसत ठीक नहीं।
अतुल सिंह मृदल
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