- Home
- Hindi Urdu Ghazal
- Bekaar Apne Waqt Ko
Bekaar Apne Waqt Ko
बेकार अपने वक़्त को, गंवाया मत करिये
हर जगह अपनी टांग, फंसाया मत करिये।
कोई भी किसी से कम नहीं है आज कल,
बेसबब किसी पे धौंस, जमाया मत करिये।
ख़ुराफ़ातों से न मिला है न मिलेगा कुछ भी,
यूं हर वक़्त टेढ़ी चाल, दिखाया मत करिये।
ये ज़िन्दगी है यारो इसे मोहब्बत से जीयो,
इसमें नफ़रतों का पानी, चढ़ाया मत करिये।
गर उलझन है अपनों से तो सुलझाइये खुद,
मगर शोर घर से बाहर, मचाया मत करिये।
अब तो न बचा है कोई भी भरोसे के लायक,
किसी को दिल की बात, बताया मत करिये।
शांती स्वरूप मिश्रज़िन्दगी का मसला कोई खेल नहीं है मिश्र,
कभी बेवजह इसको, उलझाया मत करिये।
-Advertisement-
-Advertisement-