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Raaste Badal Daale
जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले,
दो कदम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले।
आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था,
आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले।
शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह,
आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले।
फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी,
काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले।
इश्क़ ही खुदा है सुन के थी आरज़ू आई,
खूब तुम खुदा निकले वाक़िये बदल डाले।
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