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दर्द शायरी
Shayari Dard Ki Shiddat
Dard Ki Shiddat Se Sharminda Nahi Hai Meri Wafa,
Pyar Gehra Ho To Zakhm Bhi Gehra Deta Hain.
दर्द की शिद्दत से शर्मिंदा नहीं है मेरी वफ़ा,
प्यार गहरा हो तो ज़ख्म भी गहरा देता है।
Kissa Tamaam Kar Diya
दिन को रात और सुबह को शाम कर लिया,
तेरी आशिक़ी ने किस्सा यूँ तमाम कर दिया।
पढ़ने में हाथ तंग तो हमेशा से रहा है,
उसको पढ़ने का ये नया काम सर लिया।
जीने की ख़्वाहिश लिये मरने लगे तुझ पर,
यूं हमने जीने-मरने का सब इंतजाम कर लिया।
ग़ुरूर भी रश्क़ करता था हम से इक ज़माने में,
आज रुसवाइयों ने कब्जा सरेआम कर लिया।
रौनक हुआ करते थे कभी महफिलों की हम,
तेरी जुदाई ने तन्हाई को मेरे नाम कर दिया।
दर्द बदनाम तो नहीं होगा
जौन एलियाचारासाजों की चारा-साजी से,
दर्द बदनाम तो नहीं होगा,
हाँ दवा दो मगर ये बतला दो,
मुझको आराम तो नहीं होगा।
Hajaaron Zakhm Hain Dil Par
नमक तुम हाथ में लेकर
सितमगर सोचते क्या हो,
हजारों जख्म हैं दिल पर
जहाँ चाहो छिड़क डालो।
Namak Tum Haath Mein Lekar
Sitamgar Sochte Kya Ho,
Hajaaron Zakhm Hain Dil Par
Jahaan Chaaho Chhidak Daalo.
Dard Aakhiri Nishaani Hai
हर ज़ख्म किसी ठोकर की मेहरबानी है,
मेरी ज़िन्दगी की बस यही एक कहानी है,
मिटा देते सनम तेरे हर दर्द को सीने से,
पर ये दर्द ही तो तेरी आखिरी निशानी है।
Har Zakhm Kisi Thokar Ki Meharbani Hai,
Meri Zindagi Ki Bas Yahi Ek Kahaani Hai,
Mita Dete Sanam Tere Har Dard Ko Seene Se,
Par Ye Dard Hi To Teri Aakhiri Nishaani Hai.
Na Dard Ab Koi
न आरजू है न उल्फत है न दर्द अब कोई,
तुझे मुझसे शायद अब मोहब्बत भी न कोई।
दिल का शीशा जो टूटा तो चकनाचूर हुआ,
अब दिल के टूटे आईने में तस्वीर भी ना कोई।
समंदर सा बसा है आँखों के कोर तले,
अचानक ही बरस पड़ता है छुपा हुआ सावन कोई।
दिन भी काले शामें भी तन्हा रात गहरी उदासी सी,
नहीं सजाता अब इस तन्हा दिल में महफ़िल कोई।
एक हूक एक कसक सी उठती है दिल में जैसे,
ना आएगी अब लौट के खुशी कोई।
क्यों दिल लगाया जवानी के पागलपन में,
काश लौटा दे अब मेरा वो मासूम सा बचपन कोई।
~अर्पणा
Roothhe Huye Dil Ko
Hum Roothhe Huye Dil Ko Manaane Mein Reh Gaye,
Ghairon Ko Dil Ka Dard Sunaane Mein Reh Gaye,
Manzil Humari Humare Qareeb Se Gujar Gayi,
Hum Doosron Ko Rasta Dikhaane Mein Reh Gaye.
हम रूठे हुए दिलों को मनाने में रह गए,
गैरों को दिल का दर्द सुनाने में रह गए,
मंज़िल हमारी हमारे करीब से गुज़र गई,
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
Dard-e-Dil Ki Davaa La Do
कोई इस दर्द-ए-दिल की दवा ला दो मुझे,
किसी पे ऐतबार न करूँ वो हुनर सिखा दो मुझे,
वैसे मैं हर एक खेल का शौक रखता हूँ,
दिलों से खेलना भी कोई सिखा दो मुझे।
Koi Iss Dard-e-Dil Ki Davaa La Do Mujhe,
Kisi Pe Aitbaar Na Karoon Wo Hunar Sikha Do Mujhe,
Waise Main Har Ek Khel Ka Shauk Rakhta Hoon,
Dilon Se Khelna Bhi Koi Sikha Do Mujhe.