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हिंदी शायरी
धुआँ दिल से उठा
बिजलियाँ टूट पड़ी... जब वो मुकाबिल से उठा,
मिल के पलटी थीं निगाहें कि धुआँ दिल से उठा।
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बदले उनके तेवर
तस्वीर में भी बदले हुए हैं उनके तेवर,
आँखों में मुरब्बत का कहीं नाम नहीं है।
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न संभलेगा दिल
आपको जाते हुए देख के न संभलेगा दिल,
उसको बातों में लगा लूँ तो चले जाईयेगा।
ख्वाहिश तो ना थी
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की,
मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा था...
तो मोहब्बत कैसे ना होती।
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बख्शे हम भी न
बख्शे हम भी न गए बख्शे तुम भी न जाओगे,
वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।
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कशिश तो बहुत है
कशिश तो बहुत है मेरे प्यार में,
लेकिन वो पत्थर दिल पिघलता नहीं,
अगर मिले खुदा तो माँगूंगी उसको,
मगर ख़ुदा मरने से पहले मिलता नहीं।
तो जुदाई भी नहीं
अब अगर मेल नहीं है तो जुदाई भी नहीं,
बात तोड़ी भी नहीं तुमने तो बनाई भी नहीं।
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न हीर की तमन्ना
ना हीर की तमन्ना है,
ना परियों पर मरता हूँ,
एक भोली-भाली सी लड़की है,
मैं जिससे मोहब्बत करता हूँ।