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हिंदी शायरी
तेरी आँखें देखकर
उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।
साकी नजर मिला के पिला
शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए,
यह मुस्कराती हुई चीज मुस्करा के पिला,
सरूर चीज के मिकदार में नहीं मौकूफ,
शराब कम है साकी तो नजर मिला के पिला।
अब्दुल हमीद अदमShikan Na Daal Zabin Par Sharab Dete Huye,
Ye Muskurati Hui Cheej Muskura Ke Pila,
Saroor Cheej Ke Mikdaar Mein Nahi Maukoof,
Sharaab Kam Hai Saqi Toh Najar Mila Ke Pila.
इश्क़ कातिल से
अल्लामा इक़बालइश्क़ कातिल से भी मक़तूल से हमदर्दी भी,
ये बता किस से मोहब्बत की जज़ा माँगेगा,
सजदा खालिक़ को भी इब्लीस से याराना भी,
हशर में किस से अक़ीदत का सिला माँगेगा।
कोई पर्दा न था
अहमद फ़राज़तुम तो अपने घर के थे तुमसे कोई पर्दा न था लेकिन,
जो दिल की बात थी ज़ालिम वही मुँह से नहीं निकली।
दिल वो है जो
अहमद फ़राज़दिल वो है जो फ़रियाद से भरा रहता है हर वक़्त,
हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते।
सूरज बन कोई
खुद को जला दे तभी रोशनी मिलेगी तुझे
वरना क्या पता इन अन्धेरो में रक्खा क्या है़?
तू हंसे तो दुनिया हंसे,
वरना अकेले मुस्कुराने में रक्खा क्या है?
बनना है तो सूरज बन कोई और
सितारा बनने में रक्खा क्या है...।
क़ीमत कम नहीं होती
करो सोने के सौ टुकडे तो
क़ीमत कम नहीं होती
बुज़ुर्गों की दुआ लेने से
इज्ज़त कभी कम नहीं होती.
जरूरतमंद को कभी दहलीज
से ख़ाली ना लौटाओ,
भगवन के नाम पर देने से
दौलत कम नहीं होती.
पकाई जाती है रोटी जो
मेहनत के कमाई से,
हो जाए गर बासी तो भी
लज्ज़त कम नहीं होती.
याद करते है अपनी हर
मुसीबत में जिन्हें हम..
गुरु, प्रभु और माँ पिता के सामने
झुकने से गर्दन नीचे नहीं होती.