हिंदी शायरी

इक़रार का डर

डरता हूँ इक़रार से कहीं वो इनकार न कर दे,
यूँ ही तबाह अपनी जिंदगी हम यार न कर दे.

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उसे चांदनी कहेंगे

कभी दोस्ती कहेंगे कभी बेरुख़ी कहेंगे,
जो मिलेगा कोई तुझसा उसे ज़िन्दगी कहेंगे।

तेरा देखना है जादू तेरी गुफ़्तगू है खुशबू,
जो तेरी तरह चमके उसे रोशनी कहेंगे।

नए रास्ते पे चलना है सफ़र की शर्त वरना,
तेरे साथ चलने वाले तुझे अजनबी कहेंगे।

है उदास शाम राशिद नहीं आज कोई क़ासिद,
जो पयाम उसका लाए उसे चांदनी कहेंगे।

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यह जो हिज्र में

यह जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं,
कभी सबा को कभी नामबर को देखते हैं,
वो आये घर में हमारे खुदा की कुदरत है,
कभी हम उनको कभी अपने घर को देखते हैं।

ठोंकरें ज़हर तो नहीं

एक न एक दिन मैं ढूँढ ही लूंगा तुमको,
ठोंकरें ज़हर तो नहीं कि खा भी ना सकूँ।

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कितना दर्द है दिल

कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता,
किसी की बर्बादी का किस्सा सुनाया नहीं जाता,
एक बार जी भर के देख लो इस चेहरे को,
क्योंकि बार बार कफ़न उठाया नहीं जाता।

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पलभर की भी तन्हाई

पलभर की भी तन्हाई तुम्हें नसीब ना हो,
कोई भी गम तुम्हारे करीब ना हो,
रब तुम्हारी ज़िन्दगी में इतनी खुशियाँ दे,
कि तुमसे बढ़कर कोई खुशनसीब ना हो..

ज़ख्म सब भर गए

ज़ख्म सब भर गए बस एक चुभन बाकी है,
हाथ में तेरे भी पत्थर था हजारों की तरह,
पास रहकर भी कभी एक नहीं हो सकते,
कितने मजबूर हैं दरिया के किनारों की तरह।

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बिना मेरे रहेगी कमी

बिना मेरे रह ही जाएगी कोई न कोई कमी,
तुम जिंदगी को जितनी मर्जी सँवार लेना।