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हिंदी शायरी
आपका स्क्रू ढीला है
आसमान जितना नीला है,
सूरजमुखी जितना पिला है,
पानी जितना गीला है,
आपका स्क्रू उतना ही ढीला है।
मोहब्बत में लाखों ज़ख्म
मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने,
अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं,
मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर,
जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं।
लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
अहमद फ़राज़इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ,
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ,
तू भी हीरे से बन गया पत्थर,
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ,
हम भी मजबूरियों का उज़्र करें,
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ,
अब के गर तू मिले तो हम तुझसे,
ऐसे लिपटें तेरी क़बा हो जाएँ,
बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़,
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ।
उल्फत का दस्तूर शायरी
उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है,
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है,
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर,
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है।
तू दूर है मुझसे
तू दूर है मुझसे और पास भी है,
तेरी कमी का एहसास भी है,
दोस्त तो हमारे लाखो है इस जहाँ में,
पर तू प्यारा भी है और खास भी है।
लोग बदल जाते हैं
तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी,
आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं,
हम भी वही हैं दिल भी वही है,
न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं।
तक़रार क्या करूं
जो कुछ कहो क़ुबूल है तक़रार क्या करूं,
शर्मिंदा अब तुम्हें सर-ए-बाज़ार क्या करूं,
मालूम है की प्यार खुला आसमान है,
छूटते नहीं हैं ये दर-ओ-दीवार क्या करूं,
इस हाल मे भी सांस लिये जा रहा हूँ मैं,
जाता नहीं हैं आस का आज़ार क्या करूं,
फिर एक बार वो रुख-ए-मासूम देखता,
खुलती नहीं है चश्म-ए-गुनाहगार क्या करूं,
अनवर शऊरये पुर-सुकून सुबह ये मैं ये फ़ज़ा शऊर,
वो सो रहे हैं अब उन्हें बेदार क्या करूं।
हमारे आंसू पोंछ कर
हमारे आंसू पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
इसी अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।