हिंदी शायरी

दवा की तरह

किसी के जख़्म तो किसी के ग़म का इलाज़,
लोगों ने बाँट रखा है मुझे दवा की तरह।

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वफ़ा की तलाश करते रहे

वफ़ा की तलाश करते रहे हम,
बेबफाई में अकेले मरते रहे हम,
नहीं मिला दिल से चाहने वाला,
खुद से ही बेबजह डरते रहे हम,
लुटाने को हम सब कुछ लुटा देते
मुहब्बत में उन पर मिटते रहे हम,
खुद दुखी हो कर खुश उन को रखा,
तन्हाईयों में सांसे भरते रहे हम,
वो बेवफाई हम से करते ही रहे
दिल से उन पर मरते रहे हम।

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दुहाई पे नहीं लिखता शायरी

उनको ये शिकायत है कि मैं बेवफाई पे नहीं लिखता,
और मैं सोचता हूं कि मैं उनकी रुसवाई पे नहीं लिखता,
ख़ुद अपने से ज्यादा बुरा जमाने में कौन है?
मैं इसलिए औरों की बुराई पे नहीं लिखता,
कुछ तो आदत से मजबूर हैं और कुछ फितरतों की पसंद है,
जख्म कितने भी गहरे हों, मैं उनकी दुहाई पे नहीं लिखता।

दिल को तस्सली शायरी

ऐसा क्या लिखूँ की तेरे दिल को तस्सली हो जाए,
क्या ये बताना काफी नहीं की मेरी ज़िन्दगी हो तुम।

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खुद को वो चाहे

खुद को वो चाहे लाख मुकमल समझे,
लेकिन मेरे बिना वो मुझे अधूरा ही लगता है!

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दिल से तेरी याद

दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया,
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया,
हम से तू नाराज़ हैं किस लिये बता जरा,
हमने कभी तुझे खफा तो नहीं किया।

नदियाँ नहीं आंसू थे

वो नदियाँ नहीं आंसू थे मेरे,
जिस पर वो कश्ती चलाते रहे,
मंजिल मिले उन्हें यह चाहत थी मेरी,
इसलिए हम आंसू बहाते रहे।

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देश में बढ़ रहा

देश में बढ़ रहा है खज़ाना
मगर फिर भी अमीरों की भूख
मिटती नज़र नहीं आती।

देश में अन्न भंडार बढ़ा है
पर सो जाते हैं कई लोग भूखे
उनकी भूख मिटती नज़र नहीं आती।

सभी बेच रहे हैं सर्वशक्तिमान के दलाल
शांति, अहिंसा और गरीबों का ख्याल रखने का संदेश
मगर इंसानों पर असर होता हो
ऐसी स्थिति नहीं बन पाती।

फरिश्ते टपका रहे आसमान से तोहफे
लूटने के लिये आ जाते लुटेरे,
धरती मां बन देती खाने के दाने,
मगर रुपया बनकर
चले जाते हैं वह अमीरों के खातों में,
दिन की रौशनी चुराकर
महफिल सज़ाते वह रातों में,
भलाई करने की दुकानें बहुत खुल गयीं हैं
पर वह बिना कमीशन के कहीं बंटती नज़र नहीं आती।