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हिंदी शायरी
Gam Chhupa Ke Hansne Wale
Jinki Aankhein Aansuon Se Nam Nahin,
Kya Samajhte Ho Use Koyi Gam Nahin?
Tum Tadap Kar Ro Diye To Kya Hua,
Gam Chhupa Ke Hansne Wale Bhi Kam Nahin.
जिनकी आँखें आँसू से नम नहीं,
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं?
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ,
ग़म छुपा के हँसने वाले भी कम नहीं।
DariyaaDili Dikha Dete Hain
डरते नहीं हम सबको डरा देते हैं,
अच्छे-अच्छों को सबक सिखा देते हैं,
हम जहाँ कहीं भी रहते हैं...
अपनी दरियादिली दिखा देते हैं।
Darte Nahin Hum Sabako Dara Dete Hain,
Achchhe-Achchhon Ko Sabak Sikha Dete Hain,
Hum Jahaan Kahin Bhi Rehte Hain...
Apni DariyaaDili Dikha Dete Hain.
Intazaar Ke Lamhe Bhi
Intazaar Ke Lamhe Bhi Kitne Ajeeb Hote Hain,
Seene Ki Jagah Aankhon Mein Dil Dhadakta Hai.
इंतज़ार के लम्हे भी कितने अजीब होते हैं
सीने की जगह आँखों में दिल धड़कता है।
Mehfil Mein Wo BeNaqaab
कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्वाब आते हैं,
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं,
क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,
सुना है कि महफ़िल में वो बेनकाब आते हैं।
Gam Ka Samndar
हुस्न खो जायेगा प्यार मिट जायेगा,
वक़्त के हाथ सबकुछ लुट जायेगा,
हाँ रहेगी मगर याद मेरे दिल में तेरी,
ग़म का समंदर तो सिमट जायेगा।
मैं भला क्यूँ अब उसकी तमन्ना करूँ,
मेरा हो के भी जब वो मेरा न हुआ,
है यकीन आएगा एक दिन ऐसा भी,
मेरे मरने पे मुझसे वो लिपट जायेगा।
तेरे संग की थी जो बहारों की बातें,
याद हैं मुझको वो चाँद तारों की बातें,
रह गए अब तो तनहा, बेबस, अकेले,
ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही कट जायेगा।
Magar Dil Udaas Hai
Muddat Gujar Gayi Ke Yeh Aalam Hai Mustkil,
Koyi Sabab Nahi Hai Magar Dil Udaas Hai.
अहसान दानिशमुद्दत गुजर गई कि यह आलम है मुस्तक़िल,
कोई सबब नहीं है मगर दिल उदास है।
Mere Dard Ki Shikayat
Mere Dard Ne Mere Zakhmon Se Shikaayat Ki Hai,
Aansuon Ne Mere Sabr Se Bagaawat Ki Hai,
Gam Mila Hai Teri Chaahat Ke Samandar Mein,
Haan Mera Jurm Hai Ki Main Ne Mohabbat Ki Hai.
मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
Tamanna Chhod Dete Hain
तमन्ना छोड़ देते हैं... इरादा छोड़ देते हैं,
चलो एक दूसरे को फिर से आधा छोड़ देते हैं।
उधर आँखों में मंज़र आज भी वैसे का वैसा है,
इधर हम भी निगाहों को तरसता छोड़ देते हैं।
हमीं ने अपनी आँखों से समन्दर तक निचोड़े हैं,
हमीं अब आजकल दरिया को प्यासा छोड़ देते हैं।
हमारा क़त्ल होता है, मोहब्बत की कहानी में,
या यूँ कह लो कि हम क़ातिल को ज़िंदा छोड़ देते हैं।
हमीं शायर हैं, हम ही तो ग़ज़ल के शाहजादे हैं,
तआरुफ़ इतना देकर बाक़ी मिसरा छोड़ देते हैं।