हिंदी शायरी

Patthar Hoon Main

पत्थर हूँ मैं... चलो मान लिया मैंने,
तुम तो हुनरमंद थे तराशा क्यूँ नहीं?

Patthar Hoon Main... Chalo Maan Liya Maine,
Tum To Hunarmand The Tarasha Kyun Nahin?

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Manine Galti To Nahi Ki

मैंने गलती तो नहीं की बता कर तुझको,
मेरे दिल के हालात दिखा कर तुझको।

मैं भूखा ही रहा कल रात पर खुश था,
अपने हिस्से का खाना खिला कर तुझको।

दुनिया की बातों पे ग़ौर ना करना कभी,
मुझसे दूर कर देगा वो बहला कर तुझको।

मेरा दिल टूटेगा तो संभल जाऊँगा मैं,
उसका टूटा तो जायेगा सुना कर तुझको।

कोई है जो तुम्हें याद करता है बहुत,
रातभर जागता है वो सुला कर तुझको।

सोचो तो ज़रा कितनी सच्चाई है उसमें,
गया भी वो तो सच सिखा कर तुझको।
©प्रभाकर "प्रभू"

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Hauslon Ke Samne

हाथ बाँधे क्यों खड़े हो हादसों के सामने,
हादसे कुछ भी नहीं हैं हौसलों के सामने।

Haath Baandhe Kyon Khade Ho Haadson Ke Samne,
Haadase Kuchh Bhi Nahin Hain Hauslon Ke Samne.

Judai Ishq Ka Dastoor

जुदाई इश्क़ का दस्तूर क्यूँ है
हम नहीं समझे,
मोहब्बत इस क़दर मजबूर क्यूँ है
हम नहीं समझे।

Judai Ishq Ka Dastoor Kyoon Hai
Hum Nahin Samjhe,
Mohabbat Is Qadar Majaboor Kyoon Hai
Hum Nahin Samjhe.

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Nafratein Aam Sahi

नफरतें आम सही प्यार बढ़ा कर देखो,
इस अँधेरे में कोई शम्मा जलाकर देखो।

इस भटकती हुई दुनिया को मिलेगी मंज़िल,
मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर देखो।

ख्वाब-ए-आज़ादी को ताबीर भी मिल जाएगी,
मेरा फरमान-ए -मोहब्बत तो सुनाकर देखो।

ऐ गरीबों के मकानों को जलाने वालों,
शीशमहलों को हवा में उड़ाकर देखो।

सख्त बेरहम है ज़रदार ऐ बिकने वालो,
बेज़मीरी का जरा पर्दा हटाकर देखो।

रेख्ता हिन्दू-मुसलमान हैं भाई-भाई,
फिर वो ही भूला हुआ नारा लगाकर देखो।

~रेख्ता पटौल्वी

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Zaar-Zaar Roi Aankhein

ज़ार-ज़ार रोई आँखें ठहर गई दिल की धड़कन,
मेरे अपनों में मेरी औकात का मंज़र देखकर।

Zaar-Zaar Roi Aankhein Thhehar Gayi Dil Ki Dhadakan,
Mere Apnon Mein Meri Aukaat Ka Manzar Dekhkar.

मुझे हँसता छोड़ गया

यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे
हँसता छोड़ गया,
कि तेरे अपने ही बहुत हैं
तुझे रुलाने के लिए।

Ye Keh Kar Mera Dushman Mujhe
Hansta Chhod Gaya,
Ki Tere Apne Hi Bahut Hain
Tujhe Rulaane Ke Liye.

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Bahut Din Baad Muskuraye

बहुत दिन बाद शायद हम मुस्कुराये होंगे,
वो भी अपने हुस्न पर खूब इतराये होंगे।

संभलते-संभलते अब तक ना संभले हम,
सोचो किस तरह उनसे हम टकराये होंगे।

महक कोई आई है आँगन में कहीं से उड़कर
शायद उन्होंने गेसू अपने हवा में लहराये होंगे।

पीछे से तपाक से भर लिया बाँहों में उन्हें,
वस्ल के वक्त वो बहुत घबराये होंगे।

जब एक-दूसरे से बिछड़े होंगे वो दो पंछी
बहुत कतराते कतराते पंख उन्होंने फहराये होंगे।

जानते हो क्या इस ख़ुश-रू शख्स को,
पहचान कर भी कहना पड़ा नहीं वो कोई पराये होंगे।