हिंदी शायरी

शायरी ज़िन्दगी तूने कहाँ

साथ भी तब छोड़ा
जब सब बुरे दिन कट गए,
ज़िन्दगी तूने कहाँ
आकर दिया धोखा मुझे।

Saath Bhi Chhoda
Jab Sab Bure Din Kat Gaye,
Zindagi Tu Ne Kahan
Aakar Dhhokha Diya Mujhe.

-Advertisement-

अजीब दुनिया है दोस्त

अजीब दुनिया है,
दोस्त बोलकर दोस्ती से मुकर जाती है,
वादे तो बहुत करती है,
लेकिन वादों से ही मुकर जाती है,
जो करना है वो नहीं करती
लेकिन जो न करना है वो कर जाती है,
और एक पल अपना बोलकर
दूसरे ही पल पराया कर जाती है,
अजीब दुनिया है...!

-Advertisement-

हर सुबह तेरी दुनिया में

हर सुबह तेरी दुनिया में रौशनी कर दे,
रब तेरे हर गम को तेरी ख़ुशी कर दे,
जब भी टूटने लगें सांसें तेरी,
खुदा उनमें शामिल मेरी ज़िन्दगी कर दे।
गुड मॉर्निंग।

Har Subah Duniya Mein Roshni Kar De,
Rab Tere Har Gham Ko Khushi Kar De,
Jab Tootne Lagein Saansein Teri,
Khuda Unmein Shamil Meri Zindagi Kar De.
Good Morning..!

खुली किताब है ज़िन्दगी

लम्हों की खुली किताब है ज़िन्दगी,
ख्यालों और सांसों का हिसाब है ज़िन्दगी,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
इन्ही सवालों का जवाब है ज़िन्दगी।

Lamhon Ki Khuli Kitaab Hai Zindagi,,
Khyalon Aur Saanson Ka Hisaab Hai Zindagi,
Kuchh Jaruratein, Kuchh Khwahishein Adhoori,
Inhin Sawalon Ka Jawab Hai Zindagi.

-Advertisement-

ग़म में रोये आँसू पिए

ग़म में रोये आँसू पिए Shayari

ग़म में रोये, आँसू पिए,
रातों को तड़पे,
जुनून-ए-मोहब्बत से मिला सबकुछ
सिवा तेरे।

Gham Mein Roye, Aansoo Piye,
Raaton Ko Tadpe,
Junoon-e-Mohabbat Mein Mila Sab Kuchh
Siwa Tere.

-Advertisement-

बेवफ़ाओं का ऐलान यही है

मोहब्बत की राहों का अंजाम यही है,
ग़म को अपना लो बस पैगाम यही है,
इस शहर में मोहब्बत ढूंढे न मिलेगी,
हाँ बेवफ़ाओं का तो ऐलान यही है।

मेरे अश्क न छीन

मेरे अश्क न छीन Shayari

आसरा इक उम्मीद का देके
मुझसे मेरे अश्क न छीन,
बस यही एक ले दे के बचा है
मुझ में मेरा अपना।

-Advertisement-

शयरी इश्क़ की राहें तो

सोचने बैठे थे सुबह, देखते ही देखते शाम हो गयी,
इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं.

दिल लगा लिया तो गुनाह समझने लगे,
टूट गए जो प्यार को खुदा की पनाह समझने लगे,
मोहब्बत न हुयी, मौत का फरमान हो गयीं,
इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं.

खूब सूरत सा लफ्ज था प्यार, बेशर्मी बना दिया,
सात फेरों के सिलसिले को भी फर्जी बता दिया,
रीति-रिवाज और परंपराएं खुल-ए-आम नीलाम हो गयीं,
इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं.