- Home
- Shikwa Shayari
- Page-6
गिला शिकवा शायरी
Log Saza Dete Hai
न जाने क्यों लोग अपना बना के सज़ा देते है,
जिंदगी छीन के... ज़िन्दगी की दुआ देते है।
Na Jaane Kyon Log Apna Bana Ke Saza Dete Hai,
Zindagi Chheen Ke... Zindagi Ki Dua Dete Hai.
बख्शे हम भी न
बख्शे हम भी न गए बख्शे तुम भी न जाओगे,
वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।
शिकायतें सारी
शिकायतें सारी जोड़ जोड़ कर रखी थी मैंने,
उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया।
आज भी प्यार
आज भी प्यार करता हूँ तुझसे,
ये नहीं कि कोई मिली ही नहीं,
मिलीं तो बहुत तेरे बाद पर,
तू किसी चेहरे में दिखीं ही नहीं।
हाथ नहीं थामा
बस एक मेरा ही हाथ नहीं थामा उस ने,
वरना गिरते हुए कितने ही संभाले उसने।
फिर ना आ सकोगे
तुम फिर ना आ सकोगे,
बताना तो था ना मुझे,
तुम दूर जा कर बस गए,
और मैं ढूंढ़ता ही रह गया।
बहाने कितने
मुझसे मिलने को करता था बहाने कितने,
अब मेरे बिना गुजारेगा वो जमाने कितने।
इस दुनिया में ज़माने
इस दुनिया में ज़माने से लड़ना आसान है
कम से कम हार जीत का पता तो चलता है,
मगर खुद से लड़ना बहुत मुश्किल है
हार जीत का पता ही नहीं चलता...
दिमाग कुछ और सोचता है और दिल कुछ और करता है।