गिला शिकवा शायरी

किसकी जान जाती है

अब देखिये तो किस की जान जाती है,
मैंने उसकी और उसने मेरी कसम खायी है।

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इश्क़ कातिल से

इश्क़ कातिल से भी मक़तूल से हमदर्दी भी,
ये बता किस से मोहब्बत की जज़ा माँगेगा,
सजदा खालिक़ को भी इब्लीस से याराना भी,
हशर में किस से अक़ीदत का सिला माँगेगा।

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बेचैनियों की वजह तुम

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर,
हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो।

वो सितमगर है

उसका चेहरा भी सुनाता हैं कहानी उसकी,
चाहता हूँ कि सुनूं उससे जुबानी उसकी,
वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी,
क्योंकि सितम करना भी आदत हैं पुरानी उसकी।

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ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं

चलो अब जाने भी दो क्या करोगे हमारी दास्ताँ सुनकर,
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।

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बगैर जिसके एक पल

बगैर जिसके एक पल भी गुजारा नही होता,
सितम तो देखिए बस वही शख्स हमारा नही होता !

मोहब्बत में लाखों ज़ख्म

मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने,
अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं,
मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर,
जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं।

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नजरअंदाजी की वजह

नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो,
मैं वही हूँ जिसे तुम दुनिया से बेहतर बताती थी।