दर्द शायरी

अपना घर भूल गए

और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम
अपना घर भूल गए उनकी गली भूल गए।
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Inn Aankhon Mein Samandar

जीत ले जो दिल वो नजर हम भी रखते हैं,
भीड़ में भी नजर आये वो असर हम भी रखते हैं,
यूँ तो हमने किसी को मुस्कुराने को कसम दी है,
वरना इन आँखों में समंदर हम भी रखते हैं।

Jeet Le Jo Dil Wo Najar Hum Bhi Rakhte Hain,
Bheed Mein Bhi Najar Aaye Wo Asar Hum Bhi Rakhte Hain,
Yoon To Humne Kisi Ko Muskuraane Ko Kasam Dee Hai,
Varna Inn Aankhon Mein Samandar Hum Bhi Rakhte Hain.

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Kis Kis Ne Dard Diya

जख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे,
आँसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे,
ये मत पूछना किसने दर्द दिया,
वरना कुछ अपनों के चेहरे उतर जाएंगे।

Zakhm Jab Mere Seene Ke Bhar Jayenge,
Aansoo Bhi Moti Ban Ke Bikhar Jayenge,
Ye Mat Poochhna Kis Kis Ne Dard Diya,
Varna Kuchh Apnon Ke Chehare Utar Jayenge.

Dard Iss Baat Ka Hoga

दूर जाकर भी हम दूर जा न सकेंगे,
कितना रोयेंगे हम बता न सकेंगे,
ग़म इसका नहीं की आप मिल न सकोगे,
दर्द इस बात का होगा कि हम आपको भुला न सकेंगे।

Door Jaakar Bhi Hum Door Ja Na Sakenge,
Kitna Royenge Hum Bata Na Sakenge,
Gham Iska Nahin Ki Aap Mil Na Sakoge,
Dard Iss Baat Ka Hoga Ki Hum Aapko Bhula Na Sakenge.

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Ye Mohabbat Badi Bedard

Ye Mohabbat Badi Bedard Shayari

कागज की कश्ती से पार जाने की ना सोच,
उड़ते हुए तूफानों को हाथ लगाने की ना सोच,
ये मोहब्बत बड़ी बेदर्द है इससे खेल ना कर,
मुनासिब हो जहाँ तक दिल बचाने की सोच।

Kaagaj Ki Kashti Se Paar Jaane Ki Na Soch,
Udte Hue Toofaanon Ko Haath Lagaane Ki Na Soch,
Ye Mohabbat Badi Bedard Hai Iss Se Khel Na Kar,
Munaasib Ho Jahaan Tak Dil Bachaane Ki Soch.

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Mere Dard Ka ilaaj

जिंदगी ने मेरे दर्द का
क्या खूब इलाज सुझाया,
वक्त को दवा बताया,
ख्वाहिशों से परहेज बताया।

Zindagi Ne Mere Dard Ka
Kya Khoob ilaaj Sujhaaya,
Waqt Ko Davaa Bataaya,
Khwaahishon Se Parhej Bataaya.

Dil Lagaane Ki Saza

सजा कैसी मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की,
रोना ही पड़ा है जब कोशिश की मुस्कुराने की,
कौन बनेगा यहाँ मेरी दर्द-भरी रातों का हमराज,
दर्द ही मिला जो तुमने कोशिश की आजमाने की।

Saja Kaisi Mili Mujhko Tumse Dil Lagaane Ki,
Rona Hi Pada Hai Jab Koshish Ki Muskuraane Ki,
Kaun Banega Yahaan Meri Dard-Bhari Raaton Ka Humraaj,
Dard Hi Mila Jo Tumne Koshish Ki Aajmaane Ki.

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Aah Bhar Nahi Saka

महफिल से उठकर तो कब के चले गये थे वो,
फिर भी उनकी महक फैली रही देर तक।

दीदार ए हुस्न से ही मिलती थी दिल को ठंडक,
फिर भी चेहरा छुपाते रहे वो आज देर तक।

भूल जाता था जो दिल देख कर उनको धड़कना,
जाने क्यों बिना देखे ही उनको आज धड़का है देर तक।

दिल टूटने की आवाज तो दिल मे ही दबकर रही,
जाने क्यों वहाँ इक सन्नाटा फैला रहा देर तक।

जलने को तो सभी दोस्त ही मुझसे जलते रहे,
देखा जो उनका हाथ मेरे हाथ में रखा देर तक।

ना शिकवा रहा ना ही कोई शिकायत रही,
जब होती रही उनसे रात गुफ्तगू देर तक।

बारिश से कह दो कि वह फिर कभी बरसे,
आज आँसुओं ने बरसने कि ठानी है देर तक।

चोट खाकर भी आह भर नहीं सका 'विनोद'
देखा जो उनका चेहरा मुस्कुराता देर तक।