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ग़म शायरी
Dekha Gham Ka Saaya
जहाँ भी देखा गम का साया,
तू ही तू मुझको याद आया,
ख्वाबों की कलियाँ जब टूटी,
ये गुलशन लगने लगा पराया,
दरिया जब जब दिल से निकला,
एक समंदर आँखों में समाया,
मेरे दामन में कुछ तो देते,
यूँ तो कुछ नहीं माँगा खुदाया।
Jahaan Bhi Dekha Gham Ka Saaya,
Tu Hi Tu Mujhko Yaad Aaya,
Khwaabon Ki Kaliyaan Jab Tooti,
Ye Gulshan Lagne Laga Paraaya,
Dariya Jab Jab Dil Se Nikla,
Ek Samandar Aankhon Mein Samaaya,
Mere Daaman Mein Kuchh To Dete,
Yoon To Kuchh Nahin Maanga Khudaaya.
Ghamon Ki Ot Mein
वफ़ा के शीशमहल में सजा लिया मैनें,
वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें।
ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई,
गमों की ओट में खुद को छुपा लिया मैनें।
कभी न ख़त्म किया मैंने रोशनी का मुहाज़,
अगर चिराग बुझा तो दिल जला लिया मैनें।
कमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना था,
वो तीर अपने ही कलेजे पे खा लिया मैनें।
Wafa Ke SheeshMahal Mein Saja Liya Maine,
Wo Ek Dil Jise Patthar Bana Liya Maine.
Ye Soch Kar Ki Na Ho Taak Mein Khushi Koi,
Ghamon Ki Ot Mein Khud Ko Chhupa Liya Maine.
Kabhi Na Khatm Kiya Maine Roshani Ka Muhaaz,
Agar Chiraag Bujha To Dil Jala Liya Maine.
Kamaal Ye Hai Ki Jo Dushman Pe Chalaana Tha,
Wo Teer Apne Hi Kaleje Pe Kha Liya Maine.
Gham-e-Duniya Bhi Mili
दुनिया भी मिली गम-ए-दुनिया भी मिली है,
वो क्यूँ नहीं मिलता जिसे माँगा था खुदा से।
Duniya Bhi Mili Gham-e-Duniya Bhi Mili Hai,
Wo Kyoon Nahin Milta Jise Maanga Tha Khuda Se.
Shab-e-Gham Kaat Chuka
आधी से ज्यादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ,
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।
Aadhi Se Jyaada Shab-e-Gham Kaat Chuka Hoon,
Ab Bhi Agar Aa Jaao To Ye Raat Badi Hai.
बदन में आग सी
अहमद फ़राज़बदन में आग सी है चेहरा गुलाब जैसा है,
कि ज़हर-ए-ग़म का नशा भी शराब जैसा है,
इसे कभी कोई देखे कोई पढ़े तो सही,
दिल आइना है तो चेहरा किताब जैसा है।
फ़ासले भी बहुत
ये कैसा सिलसिला है, तेरे और मेरे दरमियाँ,
फ़ासले भी बहुत हैं और मोहब्बत भी।
महफ़िल में हँसना
महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया,
तन्हाई में रोना एक राज बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया,
बस यही जिंदगी जीने का अंदाज बन गया।
जब भी करीब
जब भी करीब आता हूँ बताने के किये,
जिंदगी दूर रखती हैं सताने के लिये,
महफ़िलों की शान न समझना मुझे,
मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिये.