Love Shayari

जज़्बात समझता हूँ​

जज़्बात समझता हूँ​ Shayari

​मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ​,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ​,
कब पूछा मैंने ​कि ​क्यूँ दूर हो मुझसे​,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ​।

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मोहब्बत की कहानी

मोहब्बत की भी देखों ना,
कितनी अजीब कहानी है,
जहर तों पिया मीरा ने,
फिर भी राधा ही दिल की रानी हैं।

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उसके साथ रहते रहते

उसके साथ रहते रहते हमे चाहत सी हो गयी,
उससे बात करते करते हमे आदत सी हो गयी,
एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है,
दोस्ती निभाते निभाते हमे मोहब्बत सी हो गयी।

चांदनी रात में बरसात

चांदनी रात में बरसात बुरी लगती है...
और महबूबा रूठ जाये तो हर बात बुरी लगती है।

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बहुत ज़ालिम हो तुम

बहुत ज़ालिम हो तुम भी मुहब्बत ऐसे करते हो,
जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो।

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कोई पर्दा न था

तुम तो अपने घर के थे तुमसे कोई पर्दा न था लेकिन,
जो दिल की बात थी ज़ालिम वही मुँह से नहीं निकली।

आसमान में एक आशियाना

काश तू चाँद मैं तारा होता,
आसमान पे एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हें दूर से देखते,
पास आने का हक़ सिर्फ हमारा होता।

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हाथ उनका छू जाये

हमारे आँसू पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
इसी अदा से वो मेरे दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
बस इसी उम्मीद में खुद को रुलाते हैं।