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सैड शायरी
न हाथ थाम सके
न हाथ थाम सके और न पकड़ सके दामन,
बहुत ही क़रीब से गुज़र कर बिछड़ गया कोई।
किस्मत में जुदा होना
यूँ बदल जाते है मौसम हमें मालूम न था,
प्यार है प्यार का मातम हमें मालूम न था,
इस मोहब्बत में यहाँ किसका भला होना है,
हर मुलाक़ात की किस्मत में जुदा होना है।
साल पुराना लगता है
वैसे ही दिन वैसी ही रातें हैं,
वही रोज का फ़साना लगता है,
अभी महीना भी नहीं गुजरा और
यह साल अभी से पुराना लगता है।
गुमनामी का अँधेरा
गुमनामी का अँधेरा कुछ इस तरह छा गया है,
कि दास्ताँ बन के जीना भी हमें रास आ गया है।
वो आँसू वो तड़प
ले लो वापस वो आँसू वो तड़प वो यादें सारी,
नहीं कोई जुर्म हमारा तो फिर ये सजाएं कैसी।
तमाम उम्र किसी
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा।
तबीयत ही मिली ऐसी
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मुहब्बत न हुई।
रूप से अक्सर प्यार
रूप से अक्सर प्यार नहीं होता,
मन चाहा सपना साकार नहीं होता,
हर किसी पर न मर मिटना मेरे दोस्त,
क्योंकि हर किसी के दिल में सच्चा प्यार नहीं होता।