- Home
- Sad Shayari
- Page-2
सैड शायरी
एक बार पुकारेंगे तुम्हें
तुम सुनो या न सुनो, हाथ बढ़ाओ न बढ़ाओ,
डूबते-डूबते एक बार पुकारेंगे तुम्हें।
Tum Suno Na Suno, Haath Barhaao Na Barhaao,
Doobte-Doobte Ek Baar Pukarenge Tumhein.
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ,
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ।
Mere Hone Mein Kisi Taur Se Shamil Ho Jaao,
Tum Maseeha Nahi Hote Ho To Qatil Ho Jaao.
ज़मीं छूटी तो भटक जाओगे ख़लाओं में,
तुम उड़ते उड़ते कहीं आसमाँ न छू लेना।
Zamin Chhooti To Bhatak Jaaoge Khalaaon Mein,
Tum Udte-Udte Kahin Aasmaan Na Chhoo Lena.
बड़ी घुटन है, चराग़ों का क्या ख़याल करूँ,
अब इस तरफ कोई मौजे-हवा निकल आये।
इरफ़ान सिद्दीक़ीBadi Ghutan Hai Chiraagon Ka Kya Khyal Karoon,
Ab Is Taraf Koi Mauz-e-Hawa Nikal Aaye.
मेरा जी नहीं लगता
नज़र नवाज़ नजारों में जी नहीं लगता,
फ़िज़ा गई तो बहारों में जी नहीं लगता,
न पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है,
यही कहूंगा हजारों में जी नहीं लगता।
हम हुए जो उदास शायरी
उन्होंने हमें आजमाकर देख लिया,
इक धोखा हमने भी खा कर देख लिया,
क्या हुआ हम हुए जो उदास,
उन्होंने तो अपना दिल बहला के देख लिया।
नसीब तेरी बेरुखी ही सही
सुकून-ए-दिल को नसीब तेरी बेरुखी ही सही,
दरमियाँ कुछ तो रहेगा फासला ही सही।
Sukoon-e-Dil Ko Naseeb Teri Berukhi Hi Sahi,
Darmiyaan Kuchh To Rahega Faasla Hi Sahi.
नहीं है शिकवा तुझसे तेरी बेरुखी का,
मुझे ही तेरे दिल में घर बनाना नहीं आया।
Nahi Hai Shiqwa Tujhse Teri BeRukhi Ka,
Mujhe Hi Tere Dil Mein Ghar Banana Nahi Aaya.
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ
हम पे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।
Dekhi Hai Berukhi Ki Aaj Hum Ne Intehaan
Hum Pe Najar Padi To Wo Mahafil Se Uthh Gaye.
वो रोते हैं रात भर
इस दिल से दूर वो कभी जाते भी नहीं हैं,
हकीकत में वो हमें चाहते भी नहीं हैं,
औरों के लिए तो वो रोते हैं रात भर,
हमारे लिए तो वो कभी मुस्कुराते भी नहीं हैं।
Iss Dil Se Door Wo Kabhi Jate Bhi Nahi Hain,
Hakeeqat Mein Wo Humein Chaahte Bhi Nahi Hain,
Auro Ke Liye To Wo Rote Hain Raat Bhar,
Humare Liye To Wo Kabhi Muskurate Bhi Nahi Hain.
तेरे सिवा कोई नहीं
तेरे सिवा कोई मेरे जज़्बात में नहीं,
आँखों में वो नमी है जो बरसात में नहीं,
पाने की कोशिश तुझे बहुत की मगर,
तू एक लकीर है जो मेरे हाथ में नहीं।
कोई कहकशाँ नहीं है
इन्ही पत्थरों पे चल कर
अगर आ सको तो आओ,
मेरे घर के रास्ते में
कोई कहकशाँ नहीं है।
मुस्तफ़ा ज़ैदीInhi Pattharon Pe Chal Kar
Agar Aa Sako To Aao,
Mere Ghar Ke Raste Mein
Koi KehKashaan Nahi Hai.
बिछड़ कर आप से
बिछड़ कर आप से
हमको ख़ुशी अच्छी नहीं लगती,
लबों पर ये बनावट की हँसी
अच्छी नहीं लगती,
कभी तो खूब लगती थी
मगर ये सोचते हैं हम,
कि मुझको क्यों मेरी ये ज़िन्दगी
अच्छी नहीं लगती।
Bichad Kar Aap Se
Humko Khushi Achchhi Nahi Lagti,
Labon Par Ye Banawat Ki Hansi
Achchhi Nahi Lagti,
Kabhi To Khoob Lagti Thi
Magar Ye Sochte Hain Hum,
Ki Mujhko Kyon Meri Ye Zindagi
Achchhi Nahi Lagti.