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सैड शायरी
जलजले बेसबब नहीं आते
जलजले यूँ ही बेसबब नहीं आते,
कोई दीवाना तह-ए-खाक तड़पता होगा।
Zalzale Yoon Hi BeSabab Nahi Aate,
Koi Deewana Teh-e-Khak Tadapta Hoga
नाकाम मोहब्बत का नक्श | Sad Shayari
आइने में अक्सर जो अक्स नजर आता है,
खुद से लड़ता हुआ एक शख्स नजर आता है,
वो किसी बात पे खुद से खफा लगता है,
नाकाम मोहब्बत का नक्श नजर आता है।
Aaine Mein Aksar Jo Aks Nazar Aata Hai,
Khud Se Ladta Huaa Ek Shakhs Nazar Aata Hai,
Wo Kisi Baat Pe Khud Se Khafa Lagta Hai,
Nakam Mohabbat Ka Naksh Nazar Aata Hai.
ये गज़ल मोहब्बतों की
मैं किसे सुना रहा हूँ ये गज़ल मोहब्बतों की,
कहीं आग साजिशों की कहीं आँच नफरतों की,
कोई बाग जल रहा है ये मगर मेरी दुआ है,
मेरे फूल तक न पहुँचे ये हवा तज़ामतों की।
Main Kise Suna Raha Hoon Ye Gazal Mohabbaton Ki,
Kahin Aag Sazishon Ki Kahin Aanch Nafraton Ki,
Koyi Baag Jal Raha Hai Ye Magar Meri Duaa Hai,
Mere Phool Tak Na Pahunche Ye Hawaa Tazaamaton Ki.
वही वहशत वही हैरत
वही वहशत, वही हैरत,
वही तन्हाई है मोहसिन,
तेरी आँखें मेरे ख़्वाबों से
कितनी मिलती-जुलती हैं।
मोहसिन नक़वीWohi Wehshat, Wohi Hairat,
Wohi Tanhaai Hai Mohsin,
Teri Aankhein Mere Khwaabon Se
Kitni Milti-Julti Hain.
मोहब्बत में ठिकाना न रहा
मोहब्बत में न अपना कोई ठिकाना रहा,
सारी उम्र बस उनका आना-जाना रहा,
हमने राज खुलने न दिए दिल के उनपर,
खतों में हर्फ़ का लिखना मिटाना रहा।
Mohabbat Mein Na Apna Koyi Thikaana Raha,
Saari Umr Bas Unka Aana-Jaana Raha,
Humne Raaz Khulne Na Diye Dil Ke Un Par,
Khaton Mein Harf Ka Likhna Mitaana Raha.
कुछ मैं भी थक गया
कुछ मैं भी थक गया उसे ढूँढ़ते हुए,
कुछ ज़िन्दगी के पास भी मोहलत नहीं रही,
उसकी हर एक अदा से झलकने लगा खलूस,
जब मुझको ऐतबार की आदत नहीं रही।
Kuchh Main Bhi Thak Gaya Use Dhoondhate Huye,
Kuchh Zindagi Ke Paas Bhi Mohalat Nahin Rahi,
Uski Har Ek Adaa Se Jhalakne Laga Khaloos,
Jab Mujhko Aitbaar Ki Aadat Nahin Rahi.
चाहत जो बिछड़ने लगी
अब तो तबियत हमारी बिगड़ने लगी है,
कोई चाहत जो हमसे बिछड़ने लगी है,
आरज़ू जो कोई दिल में दबी रह गयी,
अब बन के धुआँ कहीं उड़ने लगी है,
हर अक्स तेरा दिल की गहराई में है,
रूह दिल के ज़ख्मों से डरने लगी है।
~बलराम सिंह
अफसोस होता है जब
अफसोस होता है जब
हमारी पसंद कोई और चुरा लेता है,
ख्वाब हम देखते हैं और
हकीक़त कोई और बना लेता है।
Afsos Hota Hai Jab
Humari Pasand Koi Aur Chura Leta Hai,
Khwaab Hum Dekhte Hain Aur
Haqeekat Koi Aur Bana Leta Hai.