हिंदी शायरी

कमी मेरी वफ़ा में थी

कमी मेरी वफ़ा में थी Shayari

मेरी यादों से अगर बच निकलो,
तो ये वादा है मेरा तुमसे,
मैं खुद दुनिया से कह दूंगा,
कमी मेरी वफ़ा में थी।

Meri Yaadon Se Agar Bach Niklo,
To Yeh Vaada Hai Mera Tumse,
Main Khud Duniya Se Keh Doonga,
Kami Meri Wafa Mein Thi.

मैं तुझको भूल जाने के
मुसलसल मरहले में हूँ,
मगर रफ्तार मद्धम है,
मुझे महसूस होता है।

Main Tujhko Bhool Jane Ke
Musalsal Marhale Mein Hun,
Magar Raftaar Maddham Hai
Mujhe Mehsoos Hota Hai.

-Advertisement-

पुकारा तुझको तन्हाई में

आज तेरी याद को सीने से लगा के रोये,
खयालो में तुझे पास बुलाके रोये,
हज़ार बार पुकारा तुझको तन्हाई में,
हर बार तुझे पास न पाकर रोये।

Aaj Teri Yaaad Ko Seene Se Laga Ke Roye,
Khayalo Me Tujhe Pas Bulake Roye,
Haazar Baar Pukara Tujhko Tanhai Me,
Har Bar Tujhe Paas Na Pakar Roye.

-Advertisement-

दिल में बसाए रखना दोस्त शायरी

दिल में बसाए रखना दोस्त शायरी Shayari

अपने दिल में हमें भी बसाए रखना,
हमारी यादों के चराग जलाए रखना,
बहुत लंबा है ज़िंदगी का सफ़र मेरे दोस्त,
इसका हिस्सा हमें भी बनाए रखना।

Apne Dil Mein Humein Bhi Basaye Rakhna,
Humari Yaadon Ke Chiraag Jalaye Rakhna,
Bahut Lamba Hai Zindagi Ka Safar Mere Dost,
Iska Hissa Humein Bhi Banaye Rakhna.

होंठों पर मुस्कान कोई रखना

नन्हें से दिल में अरमान कोई रखना,
दुनियाँ की भीड़ में पहचान कोई रखना,
अच्छे नहीं लगते दोस्त जब रहते हो उदास,
इन होंठों पर सदा मुस्कान कोई रखना।

-Advertisement-

एक तेरे न रहने से

एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ,
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।

Ek Tere Na Rehne Se Badal Jaata Hai Sab Kuchh,
Kal Dhoop Bhi Deewar Par Poori Nahi Utari.

-Advertisement-

ख्वाब मैंने अधूरा देखा है

बड़ी मुद्दत के बाद मैंने उसे देखा है,
वही अंदाज, उसी तेवर के साथ देखा है,
सोचा करीब जाकर सीने से लगा लूँ,
पर ख्वाब मैंने आज भी अधूरा देखा है।

फूल जैसे एक बदन को

क्यों न अपनी ख़ूबी-ए-क़िस्मत पे
इतराती हवा,
फूल जैसे एक बदन को
छू कर आई थी हवा।

Kyon Na Apni Khoobi-e-Kismat Pe
Itraati Hawa,
Phool Jaise Ek Badan Ko
Chhoo Kar Aayi Thi Hawa.

-Advertisement-

जख्मों की कमी नहीं

जख्मों की कमी नहीं Shayari

दिल-ए-तबाह को ज़ख़्मों की
कुछ कमी तो नहीं,
मगर है दिल की तमन्ना कि
तुम फिर से वार करो।

Dil-e-Tabaah Ko Zakhmon Ki
Kuchh Kami To Nahi,
Magar Hai Dil Ki Tamanna Ke
Tum Fir Se Waar Karo.