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हिंदी शायरी
Raaton Ko Jagte Rahe
तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया,
रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।
Tum Kya Gaye Ki Waqt Ka Ehsaas Mar Gaya,
Raaton Ko Jagte Rahe Aur Din Ko So Gaye.
Ek Pal Ke Liye
Ek Pal Ke Liye Jab Tu Paas Aata Hai,
Mera Har Lamha Khaas Ban Jata Hai,
Sanwarne Lagti Hai Ye Zindagi Apni,
Jab Bhi Tu Meri Baahon Mein Muskurata Hai.
एक पल के लिए जब तू पास आता है,
मेरा हर लम्हा ख़ास बन जाता है,
सँवरने सी लगती है ये ज़िन्दगी अपनी,
जब भी तू मेरी बाहों में मुस्कुराता है।
करोगे याद एक दिन
करोगे याद एक दिन चाहत के ज़माने को,
चले जायेंगे जब हम कभी वापस न आने को,
करेगा महफ़िलों में जब ज़िक्र हमारा कोई,
तन्हाई ढूंढोगे तुम भी दो आँसू बहाने को।
Karoge Yaad Ek Din Chahat Ke Zamane Ko,
Chale Jayenge Jab Hum Kabhi Wapas Na Aane Ko,
Karega Mehfilon Mein Jab Zikr Humara Koi,
Tanhai Dhhoodoge Tum Bhi Ansoo Bahaane Ko.
Chupchap Dasaa Karte Hain
लोगों के दिल कहाँ, अब तो होंठ हँसा करते हैं,
खुशियों की जगह अब, कोहराम बसा करते हैं!
भला वो बात अब कहाँ जो कभी पहले थी यारो,
लोग उल्फ़त नहीं अब, नफ़रत का नशा करते हैं!
जिधर नज़र जाती है दिखती हैं मक्कारियां उधर,
यहाँ दाग़ियों के बदले अब, बेदाग़ फंसा करते हैं!
न होइए खुश इतना पाकर हमदर्दियां किसी की,
यही वो मेहरवां हैं जो, कहीं भी तंज कसा करते हैं!
शांती स्वरूप मिश्रन पिलाओ दूध उनको कभी अपने न होंगे "मिश्र",
यही तो ताक कर अवसर, चुपचाप डसा करते हैं!
Log Samajh Lete Hain
अंधेरों को भी लोग, उजाला समझ लेते हैं,
शातिरों को वो, अपना सहारा समझ लेते हैं।
मैं आज तक न समझ पाया खुद को यारो,
लोग हैं कि खुद को, क्या क्या समझ लेते हैं।
क़त्ल करते हैं बड़ी ही मासूमियत से वो,
पर लोग हैं कि उनको बेचारा समझ लेते हैं।
थमा रखी है पतवार फरेबियों के हाथों में,
लोग हैं कि भंवर को, किनारा समझ लेते हैं।
शांती स्वरूप मिश्रकपट की चाल ही तोड़ती है रिश्तों को "मिश्र",
लोग तो इसको ही, अपनी अदा समझ लेते हैं।
रुसवाई का डर है
रुसवाई का डर है...
या अंधेरों से मोहब्बत,
अब चाँद को मैं आँगन में
उतरने नहीं देता।
Ruswaai Ka Dar Hai...
Ya Andheron Se Mohabbat,
Ab Chaand Ko Main Aangan Mein
Utarne Nahin Deta.
किसी के दिल की मायूसी
किसी के दिल की मायूसी जहाँ से हो के गुजरी है,
हमारी सारी चालाकी वही पे खो के गुजरी है,
तुम्हारी और हमारी रात में बस फर्क इतना हैं,
तुम्हारी सो के गुजरी है, हमारी रो के गुजरी है।
डॉ. कुमार विश्वासKisi Ke Dil Ki Mayoosi Jahaan Se Ho Ke Gujri Hai,
Humari Saari Chalaki Wahi Pe Kho Ke Gujri Hai,
Tumhari Aur Humari Raat Mein Bas Fark Itna Hain,
Tumari So Ke Gujri Hai, Humari Ro Ke Gujri Hai.
Gaadi Limit Mein Chalayein
न किसी के हाथ-पैर तोड़े न अपने तुड़वायें,
कृपया गाड़ी धीरे और लिमिट में चलायें।
Na Kisi Ke Haath-Pair Tode Na Apne Tudwayein,
Kripya Gaadi Dheere Aur Limit Mein Chalayein.