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तारीफ़ शायरी
Naazuki Uske Lab Ki
मीर तक़ी मीरनाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है।
Naazuki Uske Lab Ki Kya Kahiye,
Pankhudi Ik Gulaab Ki See Hai.
जलवे मचल पड़े
जलवे मचल पड़े तो सहर का गुमाँ हुआ,
ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो स्याह रात हो गई।
ख़ूब पर्दा है
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं...
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
तबस्सुम भी हया भी
इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी,
ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी।
Husn Ki Baat Chali Toh
Chup Na Hogi Hawa Bhi, Kuchh Kahegi Ghata Bhi,
Aur Mumkin Hai Tera, Zikr Kar De Khuda Bhi,
Phir Toh Patthar Bhi Shayad Zabt Se Kaam Lenge,
Husn Ki Baat Chali Toh Sab Tera Naam Lenge.
चुप ना होगी हवा भी, कुछ कहेगी घटा भी,
और मुमकिन है तेरा, जिक्र कर दे खुद़ा भी।
फिर तो पत्थर भी शायद ज़ब्त से काम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे।
क़यामत की शोख़ियाँ
दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ,
दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में।
तेरी आँखों के सिवा
फैज़ अहमद फैज़मैने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात,
तेरा ग़म है तो ग़मे-दहर का झगड़ा क्या है,
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया मे रक्खा क्या है।
बहारो फूल बरसाओ
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है,
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है।
ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में,
उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में,
सितारों माँग भर जाओ मेरा महबूब आया है।
नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर,
बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर,
ज़रा तुम दिल को बहलाओ मेरा महबूब आया है।
सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की,
इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की,
फ़िज़ाओं रंग बिखराओ मेरा महबूब आया है।
फिल्म - सूरज