हिंदी शायरी
चुप-चाप से रहते हैं...
चुप-चाप से रहते हैं वो अक्सर,
ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
दिन रात गुजरते हैं उनके बेचैन से,
तो चैन से हम भी गुजारा नहीं करते।
दिल में जलते रहेंगे...
आरज़ू के दीए दिल में जलते रहेंगे,
मेरी आँखों से आंसू निकलते रहेंगे,
दिल में रौशनी तो करो तुम शमा बन के,
मोम बनकर हम यूं ही पिघलते रहेंगे।
लब छूने का इरादा...
तुमको याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ,
जो दिल में बात हैं तुमको बताना भूल जाता हूँ,
तुम्हारे लब को छूने का इरादा रोज करता हूँ,
नजर तुमसे जो मिल जाये ज़माना भूल जाता हूँ।
बेवफाई करके निकलूँ...
बेवफाई करके निकलूँ तो वफ़ा कर जाऊंगा,
शहर को हर ज़ायके से आशना कर जाऊंगा,
तो भी ढूढ़ेगा मुझे शौक-ए-सजा में इक दिन,
मैं भी कोई खूबसूरत सी खता कर जाऊंगा।
वो लम्हे जहर से...
मैं घर का रास्ता भूला, जो निकला आपके शहर से,
इमारत दिल की ढह गई, आपके हुस्न के कहर से,
खुदा माना, आप न माने, वो लम्हे गए यूँ ठहर से,
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
~ किशन कुमार झा