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हिंदी उर्दू ग़ज़ल
Bujhi Najar Toh
Bujhi Najar Toh Karishme Bhi Rojo-Shab Ke Gaye,
Ke Ab Talak Nahi Palte Hain Log Kab Ke Gaye.
Karega Kaun Teri Bewafayion Ka Gila,
Yahi Hai Rasme-Zamana Toh Hum Bhi Ab Ke Gaye.
Magar Kisi Ne Humein HumSafar Nahi Jaana,
Ye Aur Baat Hai Ke Hum Saath Saath Sab Ke Gaye.
Ab Aaye Ho Toh Yahan Kya Hai Dekhne Ke Liye,
Ye Shahar Kab Se Hai Veeran Wo Log Kab Ke Gaye.
Girafta Dil The Magar Hausla Nahi Haara,
Girafta Dil Hai Magar Haunsle Bhi Ab Ke Gaye.
Tum Apni Shamme-Tamanna Ko Ro Rahe Ho 'Faraz',
Inn Aandhiyon Mein Toh Pyare Chirag Sab Ke Gaye.
बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये,
कि अब तलक नहीं पलटे हैं लोग कब के गये।
करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला,
यही है रस्मे-ज़माना तो हम भी अब के गये।
मगर किसी ने हमें हमसफ़र नहीं जाना,
ये और बात कि हम साथ साथ सब के गये।
अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिए,
ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये।
गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नहीं हारा,
गिरफ़्ता दिल है मगर हौंसले भी अब के गये।
अहमद फ़राज़तुम अपनी शम्मे-तमन्ना को रो रहे हो 'फ़राज़'
इन आँधियों में तो प्यारे चिराग सब के गये।
Kabhi Mujhko Saath Lekar
Kabhi Mujhko Saath Lekar Kabhi Mere Saath Chal Ke,
Wo Badal Gaye Achanak Meri Zindagi Badal Ke.
Huye Jis Pe Meharbaan Tum Koi KhushNaseeb Hoga,
Meri Hasratein Toh Nikli Mere Aansuon Mein Dhal Ke.
Teri Zulf-o-Rukh Ke Qurbaan Dil-e-Zaar Dhhoondta Hai,
Wahi Champai Ujaale Wahi Surmayi Dhundhalke.
Koi Phool Ban Gaya Hai Koi Chaand Koi Taara,
Jo Chiraag Bujhh Gaye Hain Teri Anjuman Mein Jal Ke.
Mere Dosto Khudaara Mere Saath Tum Bhi Dhhoondo,
Wo Yahi Kahin Chhupe Hain Mere Gham Ka Rukh Badal Ke.
Teri BeJhijhak Hansi Se Na Kisi Ka Dil Ho Maila,
Ye Nagar Hai Aayino Na Yahan Saans Le Sambhal Ke.
कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल के,
वो बदल गए अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के।
हुए जिस पे मेहरबाँ तुम, कोई ख़ुशनसीब होगा,
मेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल के।
तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के कुर्बान, दिल-ए-ज़ार ढूँढता है,
वही चम्पई उजाले, वही सुरमई धुंधल के।
कोई फूल बन गया है, कोई चाँद कोई तारा,
जो चिराग़ बुझ गए हैं, तेरे अंजुमन में जल के।
मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो,
वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के।
अहसान दानिशतेरी बेझिझक हँसी से, न किसी का दिल हो मैला,
ये नगर है आईनों का, यहाँ साँस ले संभल के।
Meri Raaton Ki Rahat
Meri Raaton Ki Rahat Din Ke Itminaan Le Jana,
Tumhare Kaam Aa Jayega Yeh Saaman Le Jana.
Tumhare Baad Kya Rakhna Anaa Se Vaasta Koi,
Tum Apne Saath Mera Umr Bhar Ka Maan Le Jana.
Shikasta Ke Kuchh Reze Pade Hain Farsh Par Chun Lo,
Agar Tum Jod Sako Toh Yeh GulDaan Le Jana.
Tumhein Aise Toh Khali Haath Rukhsat Kar Nahi Sakte,
Puraani Dosti Hai Ke Kuchh Pahchan Le Jana.
Iraada Kar Liya Hai Tumne Gar Sachmuch Bichhadne Ka,
Toh Fir Apne Yeh Saare Vaada-o-Paimaan Le Jana.
Agar Thhodi Bahut Hai Shayari Se Unko Dilchaspi,
Toh Unke Saamne Mera Yeh Deewan Le Jana.
मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना।
तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई,
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।
शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर चुन लो,
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना।
तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते,
पुरानी दोस्ती है, कि कुछ पहचान ले जाना।
इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का,
तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना।
अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी,
तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना।
Apne Zakhmon Ka Ujala
Ye Hakiqat Hai Ke Hota Hai Asar Baaton Mein,
Tum Bhi Khul Jaoge Do-Char Mulakaaton Mein.
Tumse Sadiyon Ki Wafaaon Ka Koi Naata Na Tha,
Tumse Milne Ki Lakeerein Thi Mere Haathon Mein.
Tere Vaadon Ne Humein Ghar Se Nikalne Na Diya,
Log Mausam Ka Mazaa Le Gaye Barsaaton Mein.
Ab Na Sooraj Na Sitaare Na Shamaa Na Chaand,
Apne Zakhmon Ka Ujala Hai Ghani Raaton Mein.
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में,
तुम भी खुल जाओगे दो-चार मुलाकातों में,
तुमसे सदियों की वफाओं का कोई नाता न था,
तुमसे मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों में,
तेरे वादों ने हमें घर से निकलने न दिया,
लोग मौसम का मज़ा ले गए बरसातों में,
अब न सूरज न सितारे न शमां न चाँद,
अपने ज़ख्म़ों का उजाला है घनी रातों में।
चमन में उदासी
इस चमन में उदासी बनी रह गयी,
तुम न आये , तुम्हारी कमी रह गयी।
हसरतों में जिया फिर भी अफ़सोस है,
जुस्तजू दुआओं की बची रह गयी।
दिल जलाने से फुर्सत कहाँ थी उसे,
शम्मा जो थी बुझी वो बुझी रह गयी।
जो मिला था बसर के लिये कम न था,
पर ज़रूरत नयी कुछ लगी रह गयी।
पत्थरों के दिलों में नमी देखिये,
जो उगी घास थी वो हरी रह गयी।
जिस नज़र की हिमायत में तुम थे सदा,
वो नज़र तो झुकी की झुकी रह गयी।
ओस के चंद कतरों से होता भी क्या,
प्यास जैसी थी वैसी ही रह गयी।
रात भर तन्हा
जमाना सो गया और मैं जगा रातभर तन्हा
तुम्हारे गम से दिल रोता रहा रातभर तन्हा ।
मेरे हमदम तेरे आने की आहट अब नहीं मिलती
मगर नस-नस में तू गूंजती रही रातभर तन्हा ।
नहीं आया था कयामत का पहर फिर ये हुआ
इंतजारों में ही मैं मरता रहा रातभर तन्हा ।
अपनी सूरत पे लगाता रहा मैं इश्तहारे-जख्म
जिसको पढ़के चांद जलता रहा रातभर तन्हा ।
Aanko Me Raha Dil
Aanko Me Raha Dil Me Utar Kar Nahi Dekha,
Kashti Me Musafir Ne Samandar Nahi Dekha !
Bewaqt Agar Jaaunga To Sab Chauk Padenge,
Ek Umr Huyi Din Me Kabhi Ghar Nahi Dekha !
Jis Din Se Chala Hu Meri Manzil Pe Nazar Hai,
Aankho Ne Kabhi Meel Ka Patthar Nahi Dekha !
Ye Phool Mujhe Koyi Virasat Me Mile Hain,
Tumne Mera Kaanto Bhara Bistar Nahi Dekha !
Patthar Mujhe Kahta Hai Mera Chahne Wala,
Main Mom Hu Usne Mujhe Chhookar Nahi Dekha!
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा ।
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे,
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा ।
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा ।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा ।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा ।।
Maut Shayarana Chahata Hu
Apne Hontho Pe Sajana Chahata Hu,
Aa Tujhe Main GunGunana Chahata Hu,
Koyi Aanshu Tere Daman Par Gira Kar,
Boond Ko Moti Banana Chahata Hu,
Thak Gaya Hu Karte Karte Yaad Tujhko,
Ab Tujhe Main Yaad Aana Chahata Hu,
Jo Bana Vaayas Meri Naqamiyo Ka,
Main Usi Ke Kaam Aana Chahata Hu,
Chha Raha Hai Saari Basti Pe Andhera,
Roshani Ko Ghar Jalana Chahata Hu,
Phool Se Paikar To Nikale Be-Murabbat,
Main Pattharo Ko Aazmana Chahata Hu,
Rah Gayi Thi Kuchh Kami Ruswayio Me,
Fir Qateel Us Dar Pe Jana Chahata Hu,
Aakhiri Hichaki Tere Jaane Pe Aaye,
Maut Bhi Main Shayarana Chahata Hu !
अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ,
आ तुझे मैं गुन गुनाना चाहता हूँ,
कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा कर,
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ,
थक गया मैं करते करते याद तुझको,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ,
जो बना वायस मेरी नाकामियों का,
मैं उसी के काम आना चाहता हूँ,
छा रहा है सारी वस्ती पे अँधेरा,
रौशनी को घर जलाना चाहता हूँ,
फूल से पैकर तो निकले बे-मुरब्बत,
मैं पत्थरों को आज़माना चाहता हूँ,
रह गयी थी कुछ कमी रुसवायिओं में
फिर क़तील उस दर पे जाना चाहता हूँ,
आखिरी हिचकी तेरे जाने पे आये,
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ ।